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अमरूद पर राष्ट्रीय संवाद का आयोजन संपन्न

केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ द्वारा अमरूद उत्पादन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संवाद का आयोजन आज दिनांक 15 दिसम्बर, 2023 को किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. डा. बी. सिंह, कुलपति, नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या ने अमरूद के किसानों, छात्रों और वैज्ञानिको को को सम्बोधित करते हुए बताया कि अमरूद को गंभीर रोगों से बचाने हेतु विल्ट एवं सूत्र कृमि रोग रोधी रुटस्टॉक, जो सफलता पूर्वक कलम किए जा सकें, पर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने अमरूद के पोषक गुणों का जिक्र करते हुए बताया कि किस प्रकार से इसे उत्तर पूर्वी राज्यों में लोकप्रिय बनाया गया। उन्होंने अमरूद के किसानों को अधिक लाभ दिलाने हेतु निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. डा. बी. सिंह ने लखनऊ, हमीरपुर, प्रयागराज, रीवा और वाराणसी के 12 प्रगतिशील कृषकों को सम्मानित किया। इससे पूर्व संसथान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि आज अमरूद के किसानों को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। अमरूद की समस्याओं में बरसात में अधिक फलन, जाड़े में कम फल लगना, फलमख्खी का प्रकोप, फल छेदक कीट, जड़ सूत्रकृमि, अमरूद का उकठा रोग के अलावा अमरूद की विश्व प्रसिद्ध प्रजाति ‘इलाहाबाद सफेदा’ एवं ‘इलाहाबाद सुर्खा’ की प्रजाति के बाग का क्षेत्रफल घट जाना तथा बाजार में थाई प्रजाति के अमरूद के प्रति अधिक आकर्षण, आदि पर प्रकाश डाला। उक्त को ध्यान में रखते हुए ही संस्थान ने राष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया है जिसमें अमरूद के वैज्ञानिकों, प्रगतिशील बागवानों, प्रसार कर्ताओं, उद्यमियों एवं अमरूद एसोसिएशन के प्रतिनिधि द्वारा भाग लेकर एक दिवसीय संवाद में गहन विचार-विमर्श करना है। उन्होंने बताया कि इस संवाद का उद्देश्य अमरूद की समस्यों पर गहन विचार विमर्श कर राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी बनाना है। डॉ. शैलेंद्र राजन, पूर्व निदेशक, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने अपने संबोधन में अमरूद की प्रजातियों के विकास के इतिहास को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि हमारा प्रदेश अन्य प्रदेशों से अमरूद के उत्पादन में पिछड़ने लगा है। अतः और कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने उपलब्ध प्रजातियों का तुलनात्मक विश्लेषण द्वारा विभिन्न प्रजातियों के गुण दोष बताए। जड़ ग्रंथि रोग आज सबसे बड़ा खतरा है, इससे बचाव हेतु त्वरित निराकरण आवश्यक है। उद्यान एवं प्रसंस्करण निदेशालय के निदेशक, डॉ अतुल कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि उत्तर प्रदेश में अमरुद का 10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन होता है और यह देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। नवीन उन्नत प्रजातियों की सघन बागवानी के माध्यम से उत्पादन को और अधिक बढ़ाया जा सकता है। डॉ. प्रकाश पाटिल, परियोजना समन्यवयक, अखिल भारतीय सम्नन्वित फल परियोजना, ने बताया कि अमरूद के उत्पादन में क्षेत्रफल बढ़ाए बिना उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान उत्पादकता 15 मेट्रिक टन को तकनीकी के माध्यम से 30 मेट्रिक टन करने के लिए काम करना है। प्रयोगों में 32 मेट्रिक टन उत्पादकता प्राप्त की गई है। डॉ. पी. के. शुक्ल ने अपने व्याख्यान में फफूंदी और सूत्र कृमि जनित रोगों के अमरूद की फसल पर हो रहे गंभीर प्रभाव को सविस्तर बताया और प्रबंधन के उपायों को अपनाने और उनको गंभीरता से लागू किए जाने पर जोर दिया। डॉ. वी. के. सिंह ने सघन बागवानी की आवश्यकता, प्रकार, महत्व और लाभ से किसानों को अवगत कराया। वी. एन. आर. नर्सरी के श्री सौरव प्रधान और श्री रणदीप घोष ने कंपनी द्वारा उत्पादित किये जा रहे रोग मुक्त पौध उत्पादन और बागों में किये गए तकनीकी प्रयोगों की सविस्तार जानकारी दी। इस कार्यक्रम में अमरूद के फल की विविधताओं पर एक प्रदर्शिनी भी आयोजित की गयी। इस एक दिवसीय राष्ट्रीय संवाद मे देश के विभिन्न भागों मुख्यतः उत्तर प्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली से किसानों और वैज्ञानिकों के अतिरिक्त उद्यान एवं खाद् प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश के अधिकारी एवं प्रसार कर्ता अमरूद की प्रमुख कम्पनी वी.एन.आर. प्राइवेट लिमिटेड, रायुपर, फार्मो टोपिया प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर, कर्नाटक के प्रतिनिधि भी संवाद में शामिल हुए। कार्यक्रम के सचिव डॉ. के. के. श्रीवास्तव ने सहभगियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की। डॉ. पी. एल. सरोज और कार्यक्रम के सचिव डॉ. के. के. श्रीवास्तव ने सत्र के समापन पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।